3 December 2025
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युथानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
Salman Khurshid vs Mukhtar Abbas Naqvi | UP Politics 2022
My Punjab Engineering College , Chandigarh of year 1965-1969
चंद कलियाँ निशात की चुनकर, मुददते मेहवेयास रहता हूँ /
तुमसे मिलना ख़ुशी की बात सही, तुमसे मिलकर उदास रहता हूँ //
याद करते नहीं जिस दिन तुझे हम,
अपनी नजरों से उतर जाते हैं //
(the day I do not remember you, I die in my own eyes)
वक़्त से पूछ रहा है कोई,
जखम क्या वाकई भर जाते हैं //
(Some one asks time, do you really heal wounds of love caused by separation) (18:27)
जिंदगी तेरे तआक़ुब (पीछा करना) में हम,
इतना चलते हैं की मर जाते हैं // (20:15) Tahir Faraz
Oh, my mother, I remember you always (34:00)
वक़्त का क्या है, चलता है चला जायेगा /
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।"
(time is also in love with someone, for it does not stop.)
मंजिल का जनून मुझको रुकने नहीं देता
कहती है थकन मुझसे, रुक क्यों नहीं जाते //
(The will to achieve my aim does not allow me to halt,
But old age compels me to halt because of my body tiredness)
God was always kind to me due to the blessings of my elders.
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