Badrinath
"माना कि अंधेरा घना है लेकिन दीया जलाना कहां मना है।"
"चिंता मिटी, चाहत गई, मनवा बेपरवाह, जिसको कछु नहीं चाहिए, वो ही शहंशाह।"
थोडा सवर जाने दे ।
तेरा अगला जख्म भी सह लेगे,
पहले वाला तो भर जाने दे ।"
"वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं।"
"जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा,
आँख से दूर मग़र दिल से कहाँ जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा/"
Jaipal Datta wrote on Facebook on 11 June 2023
"मैं
मुसाफिर हूँ मेरे रास्ते बदलते रहे
मेरे मुक्क्दर में चलना था में चलता रहा /
मेरा प्यार, वयवहार, खाना, पीना, समय तथा
उम्र के साथ घर की तरह बदलता रहा//
जीत और हार उसके हाथ में थी
उसके बताये रास्ते में, मैं तो बस चलता रहा/
कहीं प्यार मिला कही कीमत भी नहीं
कुछ यादों को साथ लिए चलता रहा /" Jaipal
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक,
मातृभूमि पर शीश नवाने जिस पर जायें वीर अनेक।
Writers and poets are emotional human beings. Writers and poets (WP) observe life and write for the next generations. Emotions are expressed as love, bravery etc. In hindi it is known as रस / वीर रस / काम रस / और कई नाम हैं मैं भूल गया हूँ
1. राम धारी सिंह दिनकर Ramdhari Singh Dinkar
सौभाग्य ना हर वक़्त सोता है, देखें आगे क्या होता है //.....
जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है //
Listen after 3:07 https://www.youtube.com/watch?v=Cbitu7JXcrM&t=163s
मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है /https://www.youtube.com/watch?v=ewbt9CmfI9U
2. सुमित्रा नंदन पंत
जीना अपने ही में, एक महा कर्म है / जीने का हो सदुपयोग, यह मानव धर्म है //
ज्ञानी बनकर मत नीरस उपदेश दीजिये / लोक कर्म भव सत्य प्रथम सत्कर्म कीजिये //
जग पीड़ित है अति दुःख से / जग पीड़ित रे अति सुख से //
मानव जग में बंट जाये दुःख सुख से ओ सुख दुःख से //
मानवता की - जीवन श्रम से हँसे दिशाएं / हम जैसा बोयेंगे वैसा ही पाएंगे//
मैं नहीं चाहता चिर सुख मैं नहीं चाहता चिर दुःख /
सुख दुःख की एक मिचौनी हो यही मेरा अंतिम सुख //
https://www.youtube.com/watch?v=to2BYSMOws0
जय शंकर प्रसाद
हिमगिरि के उतुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छाँह,
एक पुरुष भीगे नैनो से देख रहा था प्रलय प्रवाह /
नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन
एक तत्व की ही प्रधानता कहो इसे जड़ या चेतन // (कामायनी चिंता भाग १)
https://www.youtube.com/watch?v=8x21ScyEzfs
3. हरवंश राय बच्चन
मधुशाला - चहक रहे सुब सुनने वाले महक रही है मधुशाला
https://www.youtube.com/watch?v=6LsCzWM2aNQ
https://dattanews.blogspot.com/2014/09/madhushala-15.html
यदि इन अधरों से दो बातें प्रेमभरी करती हाला
यदि इन खाली हाथों का जी पल भर बहलाता प्याला
हानि बता जग तेरी क्या है व्यर्थ मुझे बदनाम ना कर
मेरे टूटे दिल का है बस एक खिलोना मधुशाला /
याद न आये दुखमय जीवन इससे पी लेता हाला
जग चिन्ताओं से रहने को मुक्त, उठा लेता प्याला
शौक साध के और स्वाद के हेतु पिया जग करता है
पर मैं वह रोगी हूँ जिसकी एक दवा है मधुशाला /
गिरती जाती है दिन प्रतिदिन प्रणयिनी प्राणों की हाला
भग्न हुआ जाता दिन प्रतिदिन सुभगे मेरा तन प्याला
रूठ रहा है मुझसे रूपसी दिन दिन यौवन का साकी
सूख रही है दिन दिन सुंदरी मेरी जीवन मधुशाला /
यम आयेगा साकी बनकर साथ लिये काली हाला
पी न होश में फिर आयेगा सुरा विसुध यह मतवाला
यह अंतिम बेहोशी अंतिम साकी अंतिम प्याला है
पथिक प्यार से पीना इसको फिर न मिलेगी मधुशाला/
ढलक रही हो तन के घट से संगिनी जब जीवन हाला
पात्र गरल का ले जब अंतिम साकी हो आनेवाला
हाथ परस भूले प्याले का स्वाद सुरा जिह्वा भूले
कानों में तुम कहती रहना मधुकण प्याला मधुशाला /
https://dattanews.blogspot.com/2014/08/madhushala.html
https://dattanews.blogspot.com/2011/09/bar-and.html
https://dattanews.blogspot.com/2014/08/bar-my-global-world.html
4. नीरज कारवां गुजर गया गुब्बार देखते रहे
https://jaipalsinghdatta.blogspot.com/2021/10/neeraj.html
हर दिवस श्याम में ढल जाता है
हर तिमिर धूप में जल जाता है |
मेरे मन इस तरह ना हिम्मत हार
वक़्त कैसा हो बदल जाता है ||
5 अटल बिहारी बाजपेयी
https://www.youtube.com/watch?v=ptholsATgzE6. कुमार विश्वास
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है /
मगर धरती की बेचैनी को बस पागल समझता है /
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी ही
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है //
हमें बेहोश कर साकी पिला भी कुछ नहीं हमको /
मोहब्बत ने दिया है सब मोहब्बत ने लिया सब /
मिला भी कुछ नहीं हमको गिला भी कुछ नहीं हमको /
मुझे वो मार कर खुश है की सारा राज उसपर है /
यकीनन कल है मेरा आज बेशक आज उसपर है /
उसे जिद थी झुकाओ सर तभी दस्तार बकशुंगा
मैं अपना सर बचा लाया महल और ताज उस पैर है //
7 अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachhan)
Interview of Aajn Tak on the life of Amitabh Bacchan and Harvansh Lal Bachhan
Din ko Holi Raat Divali Roj Manati Madhushala
जो बीत गयी सो बात गयी
जीवन में एक सितारा था, माना वो बेहद प्यारा था
वो डूब गया सो डूब गया / (२८:४०)
अम्बर के आँगन को देखो कितने तारे है
जो टूट गए वो टूट गए , अम्बर कब उनपर रोता है
जो सूख गया वो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो।
जीवन में मधु का प्याला था तुमने तन मन दे डाला था
मदिरालय का आंगन देखो कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिटटी में मिल जाते हैं, जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर , कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गयी वो बात गयी
मृदु मिटटी के हैं बने हुए हैं मृदुगन फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आये हैं प्याले, टूटा ही करते हैं
फिर जो टूट गया वो टूट गया
जो बीत गयी सो बात गयी /
जो मादकता के मारे हैं वो मधु लूटा ही करते हैं
वो कच्चा पीने वाला है जिसकी ममता घट प्यालों पर
सो सच्चे मधु से जला हुआ कब रोता है चिल्लाता है //
जो बीत गयी सो बात गयी //
https://www.youtube.com/watch?v=qGZj0z1ur3Iकोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती /
https://www.youtube.com/watch?v=Fhfteo5NfM0Motivational poetry by Amitabh Bachhan
8.
कविता तिवारी Kavita Tiwari
मन चंचल है तन व्याकुल है - best hindi poetry by Kavita
कोई जर्रा नहीं ऐसा जहाँ पर रब नहीं होता / लड़ाई वे ही करते हैं जिन्हें मतलब नहीं होता //
वो मंदिर और मस्जिद के लिए दीवानगी वालो / वतन से बढ़ के दुनियां में कोई मजहब नहीं होता //
बात कडवी लग सकती है लेकिन सच चाश्नी के साथ परोसी जाने वाली चीज भी नहीं है, अपने आपको मानव बम बना कर निहत्थे एवं मासूम की जान लेकर, इस कुकृत्य को शहादत का नाम देने वाले मूर्खों को असली शाहदत की परिभाषा क्या होती है कुछ पंक्तियों के माध्यम से बताती हूँ I सुनिए और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करिए II Laxmi Bai sacrifice during 1855.
"बिना मौसम हृदय को किल से भी कूजा नहीं जाता
जहां अनुराग पलता हो वहां दूजा नहीं जाता //
विभीषण राम जी के भक्त हैं ये जानते सब हैं
मगर जो देश द्रोही हो उसे पूजा नहीं जाता //"
Laxmi Bai
"रण बीच अकेली डटी रही साहस के तब पो बारे थे
दुश्मन से बाजी जीत गए पर हम अपनों से हारे थे "
Listen Kavita on stone throwers on army.
हल कर सकते हो चुटकी मैं, ये प्रश्न नहीं है बहुत बड़ा/
सैनिको ना मत घबराना, है देश तुम्हारे संग खड़ा //
सीमा तक धारण करो धैर्य, मतवालों का मदवालों का /
सौ से आगे यदि बढ़ जाएँ तो वध कर डालो शिशुपालों का //
बोटी बोटी कर के फैंको टुकड़े फौरन मक्कारों के /
अंदर हो चाहे बाहर हों कुल भारत के गद्दारों के //
तोड़ो तोड़ो तुरंत तोड़ो, बेड़ियाँ पड़ी जो पावों में /
तुम लिपट तिरंगे में आखिर कब तक आओगे गावों में //
हो चुका राग सहिष्णुता का, बदलों जवाब की भाषा को
यह देश आरती लिए खड़ा पूर्ण कर दो अभिलाषा को //
करनी पर दुश्मन की सैना, सिर धुन धुन कर पछताएगी /
निज ठौर ठिकाना ढूंढेगी, फिर भी ना कहीं बच पाएगी //
वरदाई जैसा लक्ष लिए गौरी का वध करवाएगी /
पत्थर बाजी यदि रुकी नहीं, कविता ज्वाला बन जायेगी //
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